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पर्यावरण संरक्षण हेतु एक हज़ार परिवारों तक पहुंचा सहभागी शिक्षण केंद्र

हम अपने आस पास प्रकृति प्रदत्त विभिन्न जैविक एवं अजैविक आवरणों से घिरे हुए हैं। इन प्राकृतिक आवरणों के संयोजन से हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन कोअस्तित्व में रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विकास एवं पर्यावरण का काफी गहरा संबंध है।अतः सभी विकासीय क्रिया कलापों का पर्यावरण पर गहरा असर पड़ता है। जिससे वातावरण का तापमान, मौसम में बदलाव और समस्त जीवों का जीवन प्रभावित होता है। हाल के दशकों में असंतुलित विकास के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में काफी असंतुलन और बदलाव आया है फलस्वरूप विभिन्न प्राणियों के साथ ही साथ मनुष्य के जीवन पर भी संकट उत्पन्न होने लगा है और कई जीव समाप्त या विलुप्त प्राय हो रहे हैं। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग का खतरा दिनों दिन लगातार बढ़ता जा रहा है। एक शोध के मुताबिक हर 10 व्यक्तियों में 9 व्यक्ति प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। साथ ही अगले 2 दशकों में धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढने का खतरा है।


वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाने व दुष्परिणामों की रोकथाम हेतु वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा द्वारा 5 जून से 16 जून तक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें 191 देशों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण के ज्वलंत मुद्दे पर गहनता से विचार विमर्श के बाद राजनैतिक एंव सामाजिक जागरूकता को पूरे विश्व स्तर पर बढ़ाने के साथ ही संतुलित विकास पर बल दिया गया। तत्पश्चात प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया जाता है |


पर्यावरण संरक्षण हेतु विश्व स्तर एंव भारत में विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संगठन आदि सामाजिक सरोकार से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर सतत क्रियाशील है। हिन्दी भाषी क्षेत्रों में सामाजिक विकास हेतु प्रयत्नशील अग्रणी गैर सरकारी संगठन सहभागी शिक्षण केन्द्र द्वारा अपने विभिन्न विकासीय कार्यक्रमों/पहलों में पर्यावरण संरक्षण को प्रमुखता से शामिल करते हुए लगातार इस मुद्दे पर क्रियाशील है। संस्था द्वारा अपने प्रमुख कार्यक्षेत्र वाराणसी जिले में पर्यावरण संरक्षण हेतु पिछले कई वर्षों से हस्तक्षेपित गांवों एवं आस पास समुदाय में व्यापक जागरूकता बढ़ाने हेतु विभिन्न कार्य किये जा रहे हैं। जन सरोकार से जुड़े इस कार्य में संस्था द्वारा विभिन्न हितभागियों यथा ग्राम पंचायतों, स्कूलों,विभिन्न सामुदायिक संगठनों, युवाओं, किसानों,महिलाओं एवं समुदाय के साथ मिलकर जल संरक्षण, जैविक खेती, वृक्षारोपण एवं सौर ऊर्जा पर प्रमुखता से कार्य किया गया है।


इस दौरान विभिन्न गांवों में एलआईसी और एचडीएफसी परिवर्तन के सहयोग से पर्यावरण संरक्षण हेतु 14,500 पौधरोपण किए गए जिनकी सफलता दर 96% है, 4200 बायोईंधन पर आश्रित परिवारों को धुआँ रहित चूल्हा दिया गया जिससे पर्यावरण प्रदूषण और महिलाओ मे स्वास संबंधी बीमारियों मे गिरावट आई, 270 सोलर स्ट्रीट लाइट स्थापित किया गए , 1800 गरीब परिवारों को सोलर होम लाइट दिए गए, 400 से अधिक वर्मीकम्पोस्ट पिट यूनिट, 400 किसानों को वेरमीवाश निर्माण का प्रशिक्षण एवं 3800 किसानों को जैविक खेती हेतु प्रशिक्षित किया गया एवं उनके खेतों मे लागू करवाया गया जिसका जन समुदाय पर व्यापक प्रभाव पड़ा है और पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न आयामों पर जन समुदाय की जागरुकता बढ़ रही है।




 

लेखक


सुनील चौरसिया

कार्यक्रम समन्वयक, सहभागी शिक्षण केंद्र

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