15 मार्च 2021 को जैमिनी कॉन्टिनेन्टल समागार में प्रधान पति मुक्त पंचायत अभियान पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात में सहभागी शिक्षण केन्द्र के अध्यक्ष श्री अशोक भाई ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा बताया कि विगत कई वर्षों से सहभागी शिक्षण केन्द्र पंचायतों के विकास एवं पंचायतों में महिला भागीदारी पर कार्य कर रहा है। पिछले दशक में ३३% से अधिक महिलाएं चुन कर आईं किन्तु आज भी महिला प्रधानों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। महिला प्रधान अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन नहीं कर रही है तथा उनके स्थान पर उनके पति पंचायतों का काम करते है इसलिए आगामी पंचायत चुनाव में सहभागी शिक्षण केन्द्र एवं क्षेत्रीय संस्थाओं द्वारा प्रधान पति मुक्त पंचायत अभियान का संचालन किया जा रहा है। इसके बाद संस्था के प्रतिनिधि श्री मनीष सिंह ने प्रस्तुतीकरण के द्वारा पंचायतों में महिला प्रधान के नेतृत्व की स्थिति संबंधित उ0प्र0 के आकड़ों पर चर्चा की और बताया कि स्थानीय सरकार में महिलाओं की राजनैतिक आरक्षण 20 राज्यों में 50 प्रतिशत किया गया है, किन्तु उ०प्र० में यह महिला भागीदारी 33 प्रतिशत ही है। उ0प्र0 में 2 लाख से अधिक, 40 प्रतिशत महिलायें चुनकर जा रही है किन्तु केवल 02 ही अपने प्रधान पद के दायित्वों का निर्वहन कर रही है। कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रोफेसर शीला मिश्रा ने महाराष्ट्र की समाज सेविका सिंधु ताई का उदाहरण देते हुए कहा कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में कमतर नहीं है आज महिलाएं पुरुषों से अधिक बेहतर कार्य कर रही है उन्होंने बताया कि पंचायतों में महिला नेतृत्व बढ़ाने हेतु हमे 4C- Consciousness (चेतना) , Concern (चिंतन), Commitment (प्रतिबद्धता) एवं Capability (क्षमता) की आवयकता है। यूनिसेफ से आयी पीयूष एन्टोनी ने कहा कि महिलाओं के लिए संविधान में जो व्यवस्था दी गयी है हमें उन्हीं बातों को ध्यान में रख कर कार्य करना है। श्री प्रमिल द्विवेदी, सी ओ. इंडिया मीडिया रिलेशन्स जी ने अभियान के संदर्भ में कहा की प्रधान पति मुक्त पंचायत अभियान एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने सुझाव देते हुए ब्लॉक व् जिला स्तर पर अधिकारीयों को जोड़ने एवं अभियान के तहत नागरिक कर्तव्यों पर जागरूकता बढ़ने पर जोर दिया।
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